कान्स फिल्म फेस्टिवल ग्लैमर और ग्लोबल सॉफ्ट पावर का मंच है, जहां हर कदम, हर पोशाक एक कहानी कहती है। इस साल की सबसे चौंकाने वाली और बहसतलब उपस्थिति रही अभिनेत्री रुचि गुज्जर की। उन्होंने कान्स 2025 के रेड कार्पेट पर एक भारी कस्टम गोल्ड लहंगे में एंट्री ली – लेकिन असली सुर्खियों में आया उनका नेकलेस, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाले तीन पेंडेंट थे।
यह एक फैशन स्टेटमेंट था, जो पलभर में राजनीतिक बयान में तब्दील हो गया। खुद रुचि ने इसे “भारत की ताकत और वैश्विक उत्थान के लिए श्रद्धांजलि” बताया। मगर सवाल यही है – क्या यह एक सशक्त प्रतिनिधित्व था या एक ज़ोरदार पीआर स्टंट?
विरोध की आग सोशल मीडिया पर भड़की
जहां कुछ लोगों ने इसे ‘देशभक्ति की रचनात्मक अभिव्यक्ति’ माना, वहीं अधिकतर प्रतिक्रियाएं तीखी और आलोचनात्मक रहीं।
-
“गले में मोदी जी की तस्वीर, और ड्रेस रिवीलिंग? यह श्रद्धांजलि है या अपमान?”
-
“राजस्थान की संस्कृति का ऐसा प्रदर्शन शर्मनाक है। एक सच्चा राजपूत महिला ऐसी पोशाक कभी नहीं पहनेगी।”
-
“यह किसने कहा कि ये भारत का प्रतिनिधित्व है? हमें शर्मिंदगी हुई।”
यूज़र्स ने ड्रेस की कट और हार के “प्लेसमेंट” पर खास आपत्ति जताई। कई लोगों को लगा कि यह न केवल प्रधानमंत्री का अपमान है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी गलत चित्रण है।
फैशन की आज़ादी या सामाजिक जिम्मेदारी?
आज के दौर में फैशन एक भाषा है – पहचान, मूल्य और विचारों को प्रस्तुत करने का माध्यम। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हस्तियां अक्सर संदेश देती हैं – लेकिन हर संदेश प्रभावशाली नहीं होता। रुचि गुज्जर के प्रयास में इरादा भले ही ‘सम्मान’ का रहा हो, लेकिन उसका निष्पादन बहस के घेरे में आ गया।
कौन हैं रुचि गुज्जर?
मॉडलिंग और म्यूजिक वीडियो के जरिए चर्चा में आईं रुचि गुज्जर मिस हरियाणा 2023 रह चुकी हैं। जयपुर से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने मुंबई में करियर की शुरुआत की। “हेली में चोर” और “जब तू मेरी ना राही” जैसे वीडियो से उन्हें पहचान मिली। कान्स 2025 उनकी पहली ग्लोबल रेड कार्पेट एंट्री थी – और यह एंट्री अब उनके नाम को सिर्फ पहचान नहीं, विवाद भी दे चुकी है।
क्या वाकई हुआ “भारत का प्रतिनिधित्व”?
यह कहना मुश्किल है कि रुचि कान्स में आधिकारिक रूप से भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थीं या किसी निजी इनवाइट के जरिए गई थीं। लेकिन सोशल मीडिया पर हुई आलोचना इस बात को लेकर है कि अगर कोई भारत का झंडा या नेता को साथ लेकर मंच पर उतरता है, तो उससे उम्मीद होती है कि वह संयम, गरिमा और सांस्कृतिक समझ का परिचय देगा।
रुचि गुज्जर का कान्स लुक चर्चित जरूर हुआ, लेकिन सम्मानजनक नहीं माना गया। इस प्रकरण ने एक बार फिर ये सवाल उठाया है – क्या ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर देश के प्रतीकों का इस्तेमाल स्टाइल स्टेटमेंट बन सकता है? जवाब है – हां, लेकिन शर्त है संवेदनशीलता और समझदारी की। वरना यह महज़ एक तमाशा बनकर रह जाता है – जैसा कि इस बार हुआ।
भारत की संस्कृति कोई मंच सजाने की वस्तु नहीं – वह सम्मान और गरिमा की मांग करती है।












