मेयर सौम्या गुर्जर का विवादित अयोध्या दौरा !

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दौरे पर सवालों की बौछार

जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर अपने कर्मचारियों और पार्षदों के साथ अयोध्या की यात्रा पर गईं, जिससे प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है। उनके इस दौरे पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर यात्रा की वित्तीय व्यवस्था और उनके अधिकारियों की अनुपस्थिति को लेकर। महापौर के साथ निगम के अधिकारी छुट्टी लेकर गए, लेकिन यह साफ नहीं है कि उनकी अनुपस्थिति में निगम का कामकाज कैसे चला।

छुट्टियों और खर्चे का सवाल

सफाई के अध्ययन के नाम पर महापौर का दौरा चर्चा का विषय बन गया है। प्रमुख सवाल यह है कि क्या इन अधिकारियों की छुट्टी पहले से स्वीकृत थी, और क्या महापौर ने इस यात्रा के लिए नगर निगम का फंड इस्तेमाल किया या नहीं। अगर ऐसा है, तो यह सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के रूप में देखा जा सकता है, जिस पर नगर निगम के वित्तीय सलाहकार को स्पष्टता देनी चाहिए।

सफाई के बहाने अयोध्या दौरे पर शक

महापौर सौम्या गुर्जर ने यात्रा का उद्देश्य लखनऊ की सफाई व्यवस्था से सीखना बताया, पर जयपुर का स्वच्छता सर्वेक्षण में 173वें स्थान पर रहना और लखनऊ की 44वीं रैंकिंग से सवाल खड़े हो रहे हैं। जनता और पार्टी का मानना है कि अगर सफाई सीखने ही जाना था तो इंदौर और सूरत जैसे शहरों से सीखा जा सकता था, जिन्होंने शीर्ष स्थान हासिल किए थे। इस संदर्भ में अयोध्या का चुनाव उनकी मंशा पर संदेह पैदा करता है।

पार्टी के भीतर नाराजगी और संगठनात्मक उपेक्षा

भाजपा इस समय सदस्यता अभियान चला रही है, जिसमें पार्टी नेताओं की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है। ऐसे में, महापौर का इस अभियान से दूरी बनाकर निजी दौरे पर जाना पार्टी के भीतर नाराजगी का कारण बन गया है। भाजपा के पदाधिकारियों ने इसे संगठनात्मक कार्यों की उपेक्षा बताया है, जिससे पार्टी के भीतर आंतरिक विवाद पैदा हो गया है।

जनता में रोष,शहर की उपेक्षा का आरोप

जयपुर शहर पहले से ही सफाई व्यवस्था की समस्याओं से जूझ रहा है। दीपावली और जयपुर समारोह के मद्देनजर जब शहर को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी महापौर की थी, तब उनका इस तरह से अयोध्या जाना जनता के बीच आक्रोश का कारण बना है। शहरवासी सवाल कर रहे हैं कि जब जयपुर स्वच्छता के मामले में फिसड्डी साबित हो रहा है, तो महापौर की प्राथमिकताएं कहीं और क्यों हैं?

आगे की कार्रवाई पर नजर

महापौर सौम्या गुर्जर के इस दौरे ने न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। पार्टी के भीतर उनके इस कदम पर सवाल उठ रहे हैं, और यह देखना होगा कि भाजपा इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है। महापौर के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या नहीं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो पाएगा।

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