गरीब की थाली सूनी… सरकार बेखबर!
“राशन नहीं आया… आदेश भी धरे रह गए… और पेट भूख से सुलग रहा है!”
जबलपुर से उजाला दर्पण की ग्राउंड रिपोर्ट
वन नेशन वन कार्ड योजना के नाम पर देशभर में बड़े-बड़े दावे हो रहे हैं, लेकिन जबलपुर के उखरी, अन्ना मोहल्ला, विजय नगर और शिव नगर जैसे इलाकों में ज़मीनी सच्चाई बेहद डरावनी है। सैकड़ों गरीब हितग्राही इस महीने राशन से वंचित रह गए हैं। ना अनाज है, ना जवाब।
थाली से रोटी-चावल गायब, शासन मौन
लोग मजदूरी छोड़कर राशन दुकानों की लाइन में लग रहे हैं, मगर हाथ खाली लौट रहे हैं। दुकानदार साफ बोल रहे हैं –
“शासन से जून महीने का आवंटन ही नहीं आया है।”
अब सवाल ये है कि जब राशन ही नहीं मिला, तो गरीबों को क्या मिलेगा?
केवाईसी बना भूख का नया कारण!
सरकार की जटिल प्रक्रियाओं ने हालात और भी बिगाड़ दिए हैं। बुजुर्ग, विकलांग और अशिक्षित हितग्राही केवाईसी नहीं करवा पाए, तो सीधे राशन बंद।
बिना पूछे, बिना समझे, भूख पर टेक्नोलॉजी का ताला जड़ दिया गया। दुकानदार खुद परेशान, कह रहे – “ना माल है, ना सिस्टम”
उजाला दर्पण की टीम ने मौके पर जाकर जब दुकानों की स्थिति देखी तो हकीकत सामने आई। राशन संचालक खुद कह रहे हैं –
“उपर से कोई सप्लाई नहीं आई है… पोर्टल नहीं चल रहा… केवाईसी अपडेट नहीं हो पा रही।”
मतलब साफ है – प्रशासन खुद तैयार नहीं है, और खामियाजा गरीब भुगत रहा है।
कलेक्टर का आदेश सिर्फ कागज़ों तक?
बारिश से पहले तीन महीने का राशन वितरित करने का आदेश ज़िला कलेक्टर ने जारी किया था। मगर ज़मीनी हालात कुछ और ही कह रहे हैं। न राशन मिला, न आदेश का पालन हुआ।
गरीबों की थाली में इस वक्त सिर्फ भूख, बेबसी और बेरुखी परोसी जा रही है।
प्रशासन से तीखे सवाल —
🔴 क्या शासन को गरीबों की भूख नहीं दिखती?
🔴 केवाईसी न होने पर राशन रोक देना, क्या यही संवेदनशीलता है?
🔴 जब आदेश दिया गया था कि तीन महीने का राशन बारिश से पहले दे दिया जाए, तो वो आदेश अब किस दराज में धूल खा रहा है?
“थाली सूनी है, आंखें नम हैं, और जवाब कहीं नहीं है!”
👉 ‘वन नेशन वन कार्ड’ योजना गरीबों की भूख मिटाने आई थी, अब वही भूख बढ़ा रही है।
👉 तकनीकी बहाने और प्रशासनिक लापरवाही मिलकर एक सवाल खड़ा कर रही है – क्या गरीब की थाली अब सिर्फ योजनाओं की राजनीति का पोस्टर बन गई है? उजाला दर्पण की टीम लगातार इस मुद्दे पर नज़र बनाए हुए है। अगर आपने भी इस तरह की परेशानी का सामना किया है, तो हमसे संपर्क करें — ताकि आपकी आवाज़ उन तक पहुँचे जो ज़िम्मेदार हैं।












