दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। राजधानी की विवादित नई शराब नीति से जुड़े कथित घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जांच और मुकदमे की मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दी है।
क्या है दिल्ली शराब घोटाला?
दिल्ली सरकार की 2021-22 की नई आबकारी नीति के तहत शराब की बिक्री और वितरण में कई बदलाव किए गए थे। इस नीति को बाद में अचानक वापस ले लिया गया। आरोप है कि इस नीति के जरिए कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया और इसमें कमीशन और रिश्वतखोरी हुई।
CBI और ED ने जांच में खुलासा किया कि इस घोटाले में कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई। ED का दावा है कि इस पैसे का इस्तेमाल पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए किया गया।
मुख्य आरोप:
1. शराब लाइसेंस बांटने में धांधली।
2. कुछ कंपनियों को नीति के जरिए फायदा पहुंचाना।
3. चुनावों में इस पैसे का इस्तेमाल।
केजरीवाल पर क्या आरोप हैं?
CBI और ED की जांच में दावा किया गया कि नई शराब नीति की योजना मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी मंत्रियों ने बनाई।
ED के आरोपपत्र में कहा गया कि केजरीवाल से जुड़े लोग इस पूरे षड्यंत्र में शामिल थे।
ED ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पहले ही गिरफ्तार किया है।
LG ने क्यों दी मंजूरी?
एलजी विनय कुमार सक्सेना ने ED को केजरीवाल के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी दी है। दिल्ली सरकार से जुड़े किसी भी बड़े अधिकारी या नेता पर मुकदमा चलाने के लिए केंद्र सरकार या एलजी की अनुमति जरूरी होती है।
AAP का पलटवार:
इस फैसले पर आम आदमी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा:
“यह केंद्र सरकार की साजिश है। केजरीवाल की लोकप्रियता से भाजपा डर गई है।”
“अगर मंजूरी दी गई है तो उसकी कॉपी सार्वजनिक की जाए।”
“हमारे मुख्यमंत्री और पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक हैं।”
भाजपा का जवाब:
भाजपा ने इस मामले पर AAP पर हमला बोलते हुए कहा:
“आम आदमी पार्टी की सच्चाई सामने आ चुकी है। मनीष सिसोदिया पहले ही जेल में हैं और अब केजरीवाल की बारी है।”
“दिल्ली की जनता को पता चल गया है कि कैसे उनकी सरकार ने शराब माफिया के साथ मिलकर घोटाला किया।”









