आंगन फाउंडेशन परिवार ने अपनी प्रथम वर्षगांठ को विशेष और यादगार बनाने के लिए प्रयागराज महाकुंभ और अयोध्या धाम की धार्मिक यात्रा का आयोजन किया। 23 जनवरी को जयपुर के गलता गेट से शुरू हुई यह यात्रा 26 जनवरी को अपनी पूर्णता तक पहुंची। यात्रा में 51 यात्रियों ने भाग लिया, और यह आयोजन न केवल धार्मिक अनुभवों से समृद्ध रहा, बल्कि फाउंडेशन के संगठन और सेवा के मूल्यों को भी उजागर करने वाला था।

इस यात्रा ने न केवल आस्था और भक्ति का माहौल बनाया, बल्कि यात्रियों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने और फाउंडेशन के उद्देश्यों को साकार करने का अवसर भी दिया।
प्रथम चरण: प्रयागराज महाकुंभ :
यात्रा का पहला पड़ाव प्रयागराज था। सभी यात्री महाकुंभ में भाग लेने और पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए उत्साहित थे। जैसे ही बस प्रयागराज पहुंची, यात्रियों ने संगम की ओर रुख किया।
त्रिवेणी संगम:
संगम पर हर यात्री ने आस्था की डुबकी लगाई। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने का अनुभव हर यात्री के लिए आत्मिक रूप से उन्नति का प्रतीक था। यह एक ऐसा पल था, जिसने उनकी आत्मा को पवित्रता और शांति से भर दिया।
महाकुंभ का माहौल:
महाकुंभ का वातावरण अद्भुत था। चारों ओर भक्ति और श्रद्धा का संगम देखने को मिला। यात्रियों ने भजन-कीर्तन में भाग लिया और वहां के आध्यात्मिक अनुभवों को आत्मसात किया।
महंत श्री रामरतन दास जी महाराज का सान्निध्य:
संगम स्नान के बाद यात्री श्री श्री 1008 श्री रामरतन दास जी महाराज के अखाड़े पहुंचे। यहां सभी ने महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया और प्रसादी ग्रहण की। उनके प्रवचनों ने यात्रियों के मन में आध्यात्मिकता का भाव और भी गहरा कर दिया।
द्वितीय चरण: सरयू नदी और अयोध्या धाम:
महाकुंभ के अनुभव के बाद यात्रा का अगला चरण अयोध्या धाम था। यहां की यात्रा भी विशेष महत्व रखती थी, क्योंकि यह श्री राम की नगरी है और करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
सरयू नदी में स्नान:
अयोध्या पहुंचने के बाद, सभी यात्री सरयू नदी पहुंचे। सरयू में स्नान करना हर यात्री के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव था। श्रद्धालुओं ने स्नान करते हुए मन की शुद्धि और शांति का अनुभव किया।
श्री रामलला के दर्शन:
सरयू स्नान के बाद सभी यात्री राम जन्मभूमि पहुंचे, जहां उन्होंने श्री रामलला के दर्शन किए। श्री रामलला के भव्य और दिव्य रूप ने सभी श्रद्धालुओं को भक्ति के अद्वितीय भाव से भर दिया। यह पल हर यात्री के लिए भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था।
हनुमानगढ़ी में दर्शन:
अगले चरण में सभी यात्री अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर पहुंचे। इस भव्य मंदिर के दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं ने अपनी भक्ति का प्रदर्शन किया।
फाउंडेशन का उत्कृष्ट प्रबंधन:
पूरी यात्रा के दौरान आंगन फाउंडेशन परिवार ने अपनी योजना और प्रबंधन से यात्रियों के अनुभव को यादगार बनाया।
कैप और आईडी कार्ड:
हर यात्री को फाउंडेशन द्वारा कैप और आईडी कार्ड प्रदान किए गए। यह न केवल यात्रियों की पहचान का माध्यम बना, बल्कि समूह की एकता और सुरक्षा का भी प्रतीक था। कैप के माध्यम से दूर से ही फाउंडेशन का समूह अलग पहचान में आता था।
खानपान की व्यवस्था:
यात्रा के दौरान भोजन, चाय, नाश्ता और पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गई। हलवाई को विशेष रूप से टीम में शामिल किया गया, ताकि यात्रियों को घर जैसा स्वादिष्ट और ताजा भोजन प्राप्त हो। हर यात्री ने भोजन की गुणवत्ता और प्रबंधन की प्रशंसा की।
सुरक्षा और सहायता:
फाउंडेशन की टीम ने सुरक्षा को प्राथमिकता दी। सभी यात्रियों के साथ टीम के सदस्य आगे-पीछे मौजूद रहे। यह सुनिश्चित किया गया कि कोई यात्री समूह से पीछे न छूटे और सभी सुरक्षित यात्रा करें।
प्रसाद और प्रशस्ति पत्र:
यात्रा के अंत में सभी यात्रियों को फाउंडेशन द्वारा प्रशस्ति पत्र और प्रसाद भेंट किए गए। इसने यात्रियों को सम्मान और धन्यवाद का अनुभव कराया।
यात्रियों का अनुभव:
पूरी यात्रा के दौरान यात्रियों ने फाउंडेशन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की प्रशंसा की। कई यात्रियों ने कहा कि यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक रूप से अद्भुत थी, बल्कि टीम के संगठन और सेवा के कारण इसे कभी न भूलने वाला अनुभव बना।
यात्रा के अंत में, एक यात्री ने कहा कि आंगन फाउंडेशन परिवार ने जिस तरह से इस यात्रा का आयोजन किया, वह सराहनीय है। यह हमारी जिंदगी की सबसे यादगार यात्रा रही। कैप और आईडी कार्ड ने हमें एक समूह के रूप में जोड़े रखा। यह यात्रा केवल धार्मिक अनुभव नहीं, बल्कि जीवन में संगठन और सेवा के महत्व को समझाने वाली थी।
अध्यक्ष का संदेश :
आंगन फाउंडेशन के अध्यक्ष गोविंद नाटाणी ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुभव कराना नहीं था, बल्कि लोगों को संगठन और सेवा की भावना से जोड़ना भी था। हमें गर्व है कि सभी यात्रियों ने इस यात्रा को सफल बनाने में सहयोग दिया। भविष्य में हम और भी ऐसे आयोजनों की योजना बनाएंगे।
यात्रा का समापन :
26 जनवरी को शाम 5 बजे, सभी यात्री गलता गेट पर पहुंचे। यहां पर यात्रियों का स्वागत किया गया, और फाउंडेशन की टीम ने सभी का धन्यवाद किया। इस यात्रा ने आंगन फाउंडेशन को न केवल एक धार्मिक संगठन के रूप में स्थापित किया, बल्कि इसे समाज में सेवा और सामूहिकता के प्रतीक के रूप में भी प्रस्तुत किया।
आंगन फाउंडेशन का भविष्य
आंगन फाउंडेशन की यह यात्रा एक शुरुआत है। भविष्य में, फाउंडेशन अधिक से अधिक लोगों को आध्यात्मिकता, सेवा और समाजसेवा से जोड़ने के लिए प्रयासरत रहेगा।
आंगन फाउंडेशन का उद्देश्य न केवल धार्मिक यात्राएं आयोजित करना है, बल्कि समाज में एकता, सहयोग और सेवा के मूल्यों को बढ़ावा देना भी है। यह यात्रा इस दिशा में एक सफल कदम साबित हुई।
यह धार्मिक यात्रा न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक थी, बल्कि संगठन, सेवा और सामूहिकता के महत्व को भी रेखांकित करती है। आंगन फाउंडेशन ने अपनी पहली वर्षगांठ को जिस तरह मनाया, वह एक प्रेरणा है कि कैसे एक संगठन अपने उद्देश्यों को समाज में लागू कर सकता है।
आंगन फाउंडेशन ने यह सिद्ध किया कि जब लोग एक साथ आते हैं और एक लक्ष्य की ओर कार्य करते हैं, तो वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह यात्रा एक मिसाल है, और फाउंडेशन के भविष्य के कार्यों की झलक भी।
श्रीरामचरितमानस की एक पंक्ति इस यात्रा के लिए सटीक बैठती है:
“परहित सरिस धर्म नहीं भाई। पर पीड़ा सम नहीं अधमाई।।” आंगन फाउंडेशन ने इस यात्रा के माध्यम से परहित और सेवा की इस भावना को साकार किया।










