क्या कलेक्टर महोदय जनता की परेशानी को सुनेंगे? या कभी हमारी गांव की गलियों में भी आकर स्थिति को देखेंगे? – जनता की पुकार।
(रिपोर्ट: आशीष प्रजापति उजला दर्पण जबलपुर )
जबलपुर जिले के पनागर ब्लॉक की ग्राम पंचायत बम्हनौदा के गांव बिजोरा में हालात बेहद खराब हैं। यहां बीते 15 दिनों से पानी की व्यवस्था ठप पड़ी है। गांव में लगी पानी की टंकी और मोटर दोनों बंद हैं, जिसके चलते महिलाओं और बच्चों को खेतों से या दूरदराज के इलाकों से पानी लाना पड़ रहा है।
गांववालों से जब पूछा गया कि इतनी दूर से पानी क्यों लाते हैं, तो जवाब मिला—”पंद्रह दिन से मोटर बंद है, सरपंच और सचिव से कई बार कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।”
जब उजला दर्पण के पत्रकार ने इस मुद्दे पर सरपंच और सचिव से संपर्क करने की कोशिश की, तो किसी ने फोन नहीं उठाया। कई बार कॉल करने के बाद सरपंच मालती बैरागी के घर से किसी ने फोन उठाया। बात सरपंच के पति प्रमोद बैरागी से हुई। उन्होंने बोला कि सरपंच महोदया नहीं हैं उनकी अनुपस्थित में मैं कार्य देखता हु।
जब उनसे पूछा गया कि गांव में लोग पानी के लिए परेशान हैं और मोटर बंद है, तो उनका कहना था, “गांववाले झूठ बोल रहे हैं, सब कुछ चालू है।”
लेकिन जब पत्रकार ने उन्हें खुद जाकर मोटर की स्थिति देखने को कहा, तो उन्होंने तुरंत बात पलटते हुए कहा, “नहीं-नहीं, मोटर तो कल से बंद है।”
हकीकत ये है कि गांव के लोग बीते दो हफ्तों से पानी के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों को फर्क नहीं पड़ता।
इसके बाद सचिव भरत पटेल से बात की गई। उन्होंने भी कहा, “सिर्फ 1-2 दिन से दिक्कत है, ग्रामीण गलत जानकारी दे रहे हैं।”
जब पत्रकार मौके पर पहुंचे और लोगों से बात की तो तस्वीर बिल्कुल अलग निकली। गांव में न सिर्फ पानी की समस्या है, बल्कि चारों ओर गंदगी और कचरे का अंबार भी लगा हुआ है।
इस पर भी जवाब मिला—”हम गांव को साफ रखते हैं।”
लेकिन तस्वीरें और मौके की स्थिति कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं।
अब सवाल ये है कि जब लोग परेशान हैं, महिलाएं-बच्चे दूर-दूर से पानी ढो रहे हैं, तब जिम्मेदार आखिर क्यों चुप हैं?
गांववाले पूछ रहे हैं—”हम किसके पास जाएं? हमारी सुनवाई कब होगी?”
क्या कलेक्टर महोदय जनता की परेशानी को सुनेंगे?












